दिनेश शुक्ल ।। अपने सपनों का घर कौन नहीं बनाना चाहता। इस सपने को साकार करने में मददगार है होम लोन। घर का हसीन सपना बुरा सपना न बन जाए इसलिए होम लोन के बारे में तफ्सील से जानना बहुत जरूरी है:
क्या है होम लोन? महंगे होते रीयल स्टेट के बाजार में अपना मकान बनाने के लिए आज होम लोन जरूरत बना गया है। सचाई यही है कि आज के वक्त में रीयल स्टेट से जुड़ी ज्यादातर बड़ी डील्स लोन के जरिए ही होती हैं। जब बैंक मकान खरीदने के लिए ब्याज के साथ मूल रकम को वापस करने के लिए लोन देते हैं, तो इसे ही होम लोन कहा जाता है। किसी को ज्यादा से ज्यादा कितना लोन दिया जा सकता है, बैंक इसका निर्धारण सैलरी, प्रॉपर्टी आदि के आधार पर करते है। इसके अलावा आपकी कुल इनकम, सैलरी, खर्च आदि का वेरिफिकेशन भी किया जाता है।
क्या है EMI? EMI का मतलब होता है, इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट। वह रकम जो लिए गए लोन के भुगतान के तौर पर हर महीने बैंक को तय किश्तों में ब्याज के साथ वापस करनी होती है। EMI में दो तरह के अमाउंट शामिल हैं , प्रिंसिपल अमाउंट और इंटरेस्ट अमाउंट। प्रिंसिपल अमाउंट वह मूल रकम है जो आप बैंक से लोन के रूप में लेते हैं, जबकि इंटरेस्ट अमाउंट आपकी लोन रकम पर लगाने वाला ब्याज होता है।
समझें अपना EMI प्लान - इस बात का खास ख्याल रखें कि आप बाजार में खड़े हैं, इसलिए अपने फायदे का सौदा देख कर ही डील करें।
- अक्सर ऐसा होता है कि EMI प्लान करते समय आप दूर की नहीं सोचते और EMI अडवाइजर की बातों को ही सही मान बैठते है। सभी शंकाओं का समाधान होने तक लोन न लें।
- ज्यादातर लोग शॉर्ट EMI और लॉन्ग ड्यूरेशन का प्लान इसलिए चुन लेते हैं क्योंकि उनको यह दिखता है कि हर महीने कम पैसा देना पड़ेगा। बाजार और मुनाफे के हिसाब से यह घाटे की डील है।
- दिखने वाली आसान किश्तों के नाम पर शॉर्ट EMI-लॉन्ग ड्यूरेशन का प्लान चुन लेने का सीधा असर कुल ब्याज पर पड़ता है और कस्टमर को ज्यादा रकम ब्याज के तौर पर देनी पड़ती है।
EMI प्लैनिंग पर एक्सपर्ट सलाह होम लोन सलाहकार की तरह कई सालों से काम कर रहे अभिषेक का कहना है कि:
-लोन लेते वक्त सबसे पहले अपनी जेब का दायरा समझें।
-एक अच्छी EMI प्लैनिंग वह है, जिसमें हम अपने बजट के हिसाब से मैक्सिमम EMI मिनिमम ड्यूरेशन तय करें।
-जितनी ज्यादा अमाउंट का EMI हम ले पाएंगे, हमारे लोन की ड्यूरेशन उतनी ही कम होगी और इससे कुल ब्याज में भारी कमी आएगी।
- हमारी पहली कोशिश अधिक से अधिक प्रिंसिपल अमाउंट चुकाने की होनी चाहिए।
इंटरेस्ट के जाल को ऐसे समझें - आमतौर पर सभी बैंक इस तरह के EMI प्लान्स रखते हैं, जिसमें ज्यादा से ज्यादा ब्याज वसूला जा सके। उसके बाद ही मूलधन रिकवर की बात आती है।
- मान लीजिए अगर आपने किसी बैंक से 20 साल के लिए 11 फीसदी ब्याज पर 20 लाख रुपए का लोन लिया। इस EMI स्कीम के तहत आपको हर महीने तकरीबन 20,644 रुपए देने होंगे। अगर आप इस अमाउंट पर गौर करें, तो आपने बेशक 20,644 रुपए बैंक को दिए, लेकिन इस अमाउंट में से केवल 18,333 रुपए ब्याज के तौर पर बैंक में जमा हुए, जबकि आपके प्रिंसिपल अमाउंट के तौर पर केवल 2310 रुपए गए। इसका मतलब कुल 20 लाख की लोन रकम से मात्र 2310 रुपए कम हुए और अगले महीने आपको 19 लाख 97 हजार 910 रुपए पर ब्याज देना होगा।
- इस स्कीम से एक बात साफ समझ में आती है कि अगर प्रिंसिपल अमाउंट कम जमा होगा, तो ब्याज ज्यादा देना पड़ेगा।
- अगर हम लोन का ड्यूरेशन कम करके इसे 15 साल का कर लें, तो हमारी EMI 22,732 रुपए होगी। इस स्कीम में हमारा प्रिंसिपल अमाउंट 2310 रुपए की बजाय लगभग उसका दोगुना यानी 4399 रुपए हो जाएगा।
सॉफ्टवेयर ऐप्स भी करेंगे मदद तकनीक के इस दौर में EMI प्लैनिंग से जुड़े तमाम सॉफ्टवेयर भी आसानी से उपलब्ध हैं। गूगल ऐंड्रॉयड ऐप्लिकेशन EMI एक्सपर्ट प्रो ऐसा ही एक अच्छा सॉफ्टवेयर ऐप है, हालांकि यह फ्री नहीं है, इसकी कीमत 99 रुपए है। ऐसे सॉफ्टवेयर्स आपको हर एक स्कीम के फायदे और नुकसान सेकंडों में समझा देते हैं।






4 comments:
उपयोगी जानकारी,
Great post Thanks.
होम लोन की बहुत बढ़िया लाभप्रद जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद..
आप सभी को पोस्ट पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद.
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